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समाज

March 10, 2013

महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं



महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। भगवान शिव का यह प्रमुख पर्व फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। प्रलय की वेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं। इसीलिए इसे महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि कहा गया। तीनों भुवनों की अपार सुंदरी तथा शीलवती गौरां को अर्धांगिनी बनाने वाले शिव प्रेतों पिशाचों से घिरे रहते हैं। शरीर पर मसानों की भस्म, गले में सर्पों का हार, कंठ में विष, जटाओं में जगत-तारिणी पावन गंगा तथा माथे में प्रलयंकर ज्वाला है। बैल को वाहन के रूप में स्वीकार करने वाले शिव भक्तों का मंगल करते हैं और श्री-संपत्ति प्रदान करते हैं। शिव ईश्वर का रूप हैं। हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं  वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं।

इनकी अर्धाङ्गिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र स्कन्द और गणेश हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा लिंग के रूप में की जाती है। भगवान शिव को सन्हार का देवता कहा जाता है

शिवरात्रि की पूजा रात्रि के चारों प्रहर में करनी चाहिए। शिव को बिल्वपत्र, धतूरे के पुष्प, प्रसाद मे भान्ग अति प्रिय हैं। एवम इनकी पूजा के लिये दूध,दही,घी,शकर,शहद इन पांच अमृत जिसे पन्चामृत कहा जाता है! पूजन में इनका उपयोग करें। एवम पन्चामृत से स्नान करायें इसके बाद इत्र चढ़ा कर जनेऊ पहनायें! अन्त मे भांग का प्रसाद चढाए ! जो इस व्रत को हमेशा करने में असमर्थ है, उन्हें इसे बारह या चौबीस वर्ष करना चाहिए। शिव का त्रिशूल और डमरू की ध्वनि मंगल, गुरु से संबद्ध हैं। चंद्रमा उनके मस्तक पर विराजमान होकर अपनी कांति से अनंताकाश में जटाधारी महामृत्युंजय को प्रसन्न रखता है तो बुधादि ग्रह समभाव में सहायक बनते हैं। सप्तम भाव का कारक शुक्र शिव शक्ति के सम्मिलित प्रयास से प्रजा एवं जीव सृष्टि का कारण बनता है। महामृत्युंजय मंत्र शिव आराधना का महामंत्र है।

महाशिवरात्रि भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। इसमे आत्मा और परमात्मा का मिलन, अथवा शिव और पार्वती का विवाह, मनाया जाता है। महामृत्युंजय का प्रभावशाली मंत्र-

ह्रौं जूं सः। त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् सः जूं ह्रौं

जो मनुष्य प्रतिदिन प्रात:काल और संध्या के समय इन बारह ज्योतिर्लिङ्गों का नाम लेता है, उसके सात जन्मों का किया हुआ पाप इन लिंगों के स्मरण मात्र से मिट जाता है। पर हॉ सच्चे मन से................

स्थान
सोमनाथ मंदिर, सौराष्ट्र क्षेत्र, गुजरात
श्रीमहाकाल , महाकालेश्वर , उज्जयिनी (उज्जैन)
ॐकारेश्वर अथवा अमलेश्वरॐकारेश्वर,
केदारनाथ मन्दिर,रुद्रप्रयाग, उत्तराखण्ड
भीमाशंकर मंदिर, निकट पुणे, महाराष्ट्र
काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी , उत्तर प्रदेश
त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मन्दिर, नासिक, महाराष्ट्र
रामेश्वरम मंदिर, रामनाथपुरम, तमिल नाडु
घृष्णेश्वर मन्दिर, दौलताबाद, औरंगाबाद , महाराष्ट्र
देवघर, झारखंड
नागेश्वर मन्दिर, द्वारका, गुजरात
श्रीमल्लिकार्जुन, श्रीशैलम (श्री सैलम) , आंध्र प्रदेश


March 7, 2013

महापुरूषों के अनमोल वचन


  1. महान पुरूषों अवसर की कमी की शिकायत कभी नहीं करते - इमर्सन 
  2. जो महान उद्देश के लिए मरते है उनकी कभी हार नहीं होती - बायरन 
  3. असफलता से हमारी बुद्धि का जितना विकास होता है उतनी सफलता से नहीं - स्माइल्स 

March 6, 2013

मासूम बच्चियों के प्रति यौन अपराध के लिए आधुनिक महिलाएं कितनी जिम्मेदार? - Jagran Junction Forum

                          इस लेख का सत्य प्रतिलिपी यहाँ है।

बलात्कार एक घृणित कार्य है। कृपया इससे बचेंदिल्ली की रहने वाली पांच साल की मासूम बच्ची, जिसने शायद बेदर्द दुनिया को ठीक से देखा भी नहीं था, को कुछ दरिंदों ने अपनी हैवानियत का शिकार बनाया। वह अपने हमउम्र बच्चों के साथ घर के बाहर खेल रही थी और वहीं से उसे अगवा कर उसका बलात्कार किया गया। आज वह अबोध बच्ची जिन्दगी और मौत के बीच झूल रही है।

दूसरी घटना भी अपराधों की राजधानी बन चुकी दिल्ली के एक सरकारी स्कूल की है, जहां स्कूल कैंपस के भीतर ही महज दूसरी कक्षा की ही छात्रा के साथ दुष्कर्म किया गया, लेकिन यह घिनौनी हरकत किसने की, इसका जवाब ढूंढ़ने में पुलिस, प्रशासन और स्कूल अधिकारी सभी नाकामयाब सिद्ध हो रहे हैं।

बलात्कार की बेहद घिनौनी और अमानवीय घटनाओं की बढ़ोत्तरी पर समाज के एक वर्ग का यह साफ कहना है कि महिलाओं का छोटे-छोटे कपड़े पहनना, उनका रात के समय घर से बाहर निकलना, अन्य पुरुषों के संपर्क में आना और आधुनिकता का जामा ओढ़ लेना ही उनके साथ हो रही ऐसी घटनाओं का कारण है, लेकिन वे बच्चियां जो अबोधावस्था में ही हैवानों का शिकार बन जाती हैं उन पर यह मान्यता किसी भी रूप में खरी नहीं उतरती बल्कि पूरी तरह फेल हो जाती है।

महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले वस्त्र, उनकी आजादी आदि जैसे कारक हमेशा से ही समाज के ठेकेदारों के निशाने पर रहे हैं लेकिन अबोध बालिकाओं के साथ हो रही इन घटनाओं के मद्देनजर अब नारी हित के प्रति आवाज उठाने वालों और उनसे असहमत वर्गों के बीच बहस तेज हो चुकी है कि आखिर इन घटनाओं के लिए दोषी कौन है?

महिलाओं की स्वतंत्रता की पैरवी करने वाले बुद्धिजीवियों का यह मत है कि समाज और प्रशासन का ढीला रवैया और ऐसी गंभीर घटनाओं के प्रति लचर प्रतिक्रिया से ही ऐसे वहशियों को ज्यादा शह मिलती है और वे खुले आम अपनी घिनौनी मानसिकता को अंजाम देते हैं और अब हालात ऐसे हो चुके हैं कि वे मासूम बच्चियों को ही अपना निशाना बनाने लगे हैं। वे लोग जो महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले कपड़ों और उनके मेक-अप को उनके प्रति होते अत्याचारों का कारण बताते हैं, उन पर कड़ा निशाना साधते हुए नारीवादियों का कहना है कि पहले तो महिलाओं को अपने अनुसार जीने की पूरी आजादी है लेकिन अगर एक बार को मान भी लिया जाए कि उनकी कुछ हरकतें पुरुषों को उनके प्रति शारीरिक रूप से आकर्षित करती हैं तो इन मासूम बच्चियों का क्या कसूर हैं जो ना तो मेक-अप करना जानती हैं और ना ही पुरुषों को अपने प्रति आकर्षित करना? इस वर्ग में शामिल लोगों का यह साफ कहना है कि पुरुषों की तरह महिलाओं को भी अपना जीवन अपनी मर्जी से जीने का हक है और अपराधों के वास्तविक दोषियों को नजरअंदाज कर महिलाओं को ही जिम्मेदार ठहराने वाला हमारा पुरुष समाज उनके इस अधिकार को बाधित करता है।

वहीं दूसरी ओर समाज का एक वर्ग ऐसा भी है जो यह कहता है कि पुरुषों के अंदर शारीरिक संबंधों को लेकर जो कुंठा पल रही होती है उसी के परिणामस्वरूप वह मासूम बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बनाते हैं और इस कुंठा का एकमात्र और मुख्य कारण है किशोरियों और युवतियों का चाल-चलन जो भारतीय संस्कृति के अनुसार सही नहीं ठहराया जा सकता। मासूम का यौन शोषण पुरुषों की प्राथमिकता कभी नहीं होती बल्कि वह जब अपनी शारीरिक इच्छाएं पूरी नहीं कर पाता तो वह ऐसा कुछ करने के लिए विवश हो जाता है। ऐसे लोगों का स्पष्ट कहना है कि आधुनिकता की भेंट चढ़ चुकी भारतीय नारी की शालीनता ही बच्चियों के प्रति बढ़ने वाले ऐसे यौन अपराधों के लिए दोषी है। वे पुरुष जो संबंधित महिला के साथ संबंध नहीं बना पाते वही मासूम पर अपनी हवस उतारते हैं। हालांकि पुरुषों को भी इस अनैतिक कृत्य के अपराध से मुक्त नहीं किया जा सकता लेकिन कहीं ना कहीं निर्दोष अबोध बच्चियों के साथ हो रहे इन कृत्यों के लिए तथाकथित समझदार महिलाएं, जो हर बात पर आजाद होने का दंभ भरती हैं, ही जिम्मेदार हैं।

मासूम बच्चियों के प्रति बढ़ रहे आपराधिक यौन अपराधों से जुड़े कारणों और सभी पक्षों पर विचार करने के बाद निम्नलिखित प्रश्न हमारे सामने आते हैं, जैसे:

1. अबोध कन्याओं के साथ हुए यौन अपराध के लिए आधुनिक महिलाओं को जिम्मेदार ठहराना कहां तक सही है?
2. क्या यौन अपराधों के लिए सुरक्षा तंत्र, पुलिस और प्रशासन के लापरवाह रवैये को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए?
3. क्या महिलाओं के चाल-चलन को जिम्मेदार ठहराने के स्थान पर पुरुषों की विकृत मानसिकता पर लगाम लगाया जाना चाहिए?
4. हमारा समाज नैतिकता के सिद्धांत को स्वीकारता है ऐसे में मासूम बच्चियों से अपनी हवस शांत करना क्या नैतिक पुरुषों के लक्षण हैं?

जागरण जंक्शन इस बार के फोरम में अपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है। इस बार का मुद्दा है:

मासूम बच्चियों के प्रति यौन अपराध के लिए आधुनिक महिलाएं कितनी जिम्मेदार?

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